मन का गीत
मैं वो गीत अमर लिख सकता हूँ
मैं वो जीत अमर कह सकता हूँ
मेने खूब सहा है कब से
मेने खूब कहा है सब से
फिर भी मैं हर दिन सेहता हूँ
अपने आंसू कहता हूँ
उन हत्यारो पर, उन गद्दारों पर
उन सरकारों पर, उन धोखेबाजो पर
मैं मरता हूँ तो जनता मरती है
जनता मरती है तो सत्ता मरती है
किस-किस को रोकू
किस-किस को कोसु
ये हाल किया है मैने
ये माहौल किया है मैने
गलती सब मेरी है
बस अब तो जगने की देरी है
एक लहर उठी थी गलियारों में
एक लौ जली थी अँधियारो में
कहा था अब तो “सब सच्चा होगा”
कहा था अब तो बस “सब अच्छा होगा”
अब तो “सबका साथ” होगा
अब तो “सबका विकास” होगा
अब तो ना साथ है ना विकास है
अब तो बस झूठे वादों की सौगात है
ये तो बस चुनावी बात है
वादे है जुमले सारे बाते झूठी है सारी
किसानो की ना अब बात है
रोज़गारो की बस आस है
अब तो बस एक ही बात है
सड़के हो पक्की अबकी
झोपड़ियां ना हो कच्ची सबकी
रोज़गारो की ना आस हो
किसानो की बस अब बात हो
ये हमारी उम्मीदों की बात है
पुरे हो वादे अबके
इरादे हो सच्चे सबके
बस अब तो ये ही एक आस है
ये ही एक बात है
No comments yet. Be the first one to leave a thought.